भाजपा की सरकार है बस इसीलिये #TheKashmirFiles मूवी रिलीज़ हो पाई है।
……….. क्योंकि कांग्रेस के समय में ऐसी फिल्मों को विवादित बता कर रिलीज़ से रोक दिया जाता था साथ में तर्क यह कि अगर फ़िल्म रिलीज़ हुई तो देश की अस्मिता को खतरा हो सकता है साम्प्रदायिक दंगे छिड़ सकते हैं।
उस ज़माने में सोशल मीडिया नहीं था इसलिए मीडिया वो दिखाता था जो सरकारें चाहती थीं, विवेक अग्निहोत्री जैसा कोई फिल्मकार अगर किसी सच्ची घटना पर आधारित कुछ बनाने का प्रयास करता तो हाल तो फ़िल्म रिलीज़ ही नहीं होती थी अगर होती भी थी तो सरकार/वामपंथ/मुस्लिम समर्थित सेंसर बोर्ड उस पर इतनी कलाकारी से कैंची चलाता था कि फ़िल्म का मूल उद्देश्य ही कहीं गायब हो जाता था।
बात 1995 की है संभवतः मेरी वाली पीढ़ी को सबकुछ अच्छे से याद भी आ जाए… दक्षिण भारत के एक निर्देशक ने राम मंदिर के लिए कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए मुंबई दंगो व बम विस्फोटों पर आधारित एक मूवी बनाई थी जिसका नाम था #Bombay .
मनीषा कोइराला (मुस्लिम) व अरविंद स्वामी (हिंदू) की प्रेम कहानी और दंगों के इर्दगिर्द घूमती उस कहानी में थोड़ा बहुत सत्य आधारित भी था…….. यहाँ सत्य आधारित मैं इसलिए कहूंगा क्योंकि कुछ घटनाओं के साक्ष्य तत्कालीन बम विस्फोट व दंगो की घटनाओं की अखबार में छपी खबरों से मेल खाते थे।
उक्त फ़िल्म को तत्कालीन सरकार ने रिलीज़ होने पर पाबंदी लगा दी क्योंकि सरकार का मानना था कि दंगे भड़क जाएंगे। जिन चंद राज्यों में रिलीज़ पर सहमति प्रदान की भी उन राज्यों के शहरों में लोकल प्रशासन में बैठे अधिकारियों ने आपत्ति जताते हुए रिलीज़ करने से मना कर दिया।
मुझे यह वाकया इसलिए याद है कि मनीषा कोईराला मेरी पसंदीदा अदाकारा रहीं हैं फ़िल्म के रिलीज़ होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था तभी रिलीज़ से चंद रोज़ पहले अखबार में पढ़ा की मेरठ अतिसंवेदनशील शहरों में एक है इसलिए यहां पर फ़िल्म का रिलीज़ होना मुश्किल है तब भी प्रशासनिक अधिकारियों की राय लेने हेतु एक स्पेशल शो चलाया जाएगा यदि अधिकारियों ने पास किया तब ही फ़िल्म रिलीज़ होगी।
तत्कालीन एस पी सिटी आईपीएस दलजीत सिंह चौधरी मेरे अच्छे मित्र थे, मैंने अपनी इच्छा उन्हें जताई तो उन्होंने मुझे स्पेशल शो का निमंत्रण दे दिया, संभवतः दिनांक 9 मार्च 1995 रही होगी, मेरठ घन्टाघर स्थित अप्सरा सिनेमा हॉल में वो फ़िल्म मैंने देखी और फ़िल्म के बाद अधिकारियों संग फ़िल्म समीक्षा का भी हिस्सा बना।
समीक्षा कुछ यूं थी - तत्कालीन जिलाधिकारी एस. एन. सेठ, सिटी मजिस्ट्रेट कुंवर सिंह, एसएसपी व अन्य का मानना था फ़िल्म तो मज़ेदार बनी है परंतु हिंदुओं के प्रति हिंसा ज्यादा दिखाई गई है साथ ही एक सीन में स्वास्तिक को जलाते हुए दिखाया गया है जो आपत्तिजनक है, उस सीन को देखकर हिंदुओ की भावनाएं आहत होंगी और दंगे भड़क सकते हैं इसलिए इस फ़िल्म को रिलीज होने से रोक दिया जाए।
जबकि सच्चाई कुछ और थी अनौपचारिक बातचीत में पता चला कि लखनऊ से फ़िल्म को रिलीज नहीं करने का ऑर्डर मिला है और उस ऑर्डर की खास वजह यह थी कि तत्कालीन मिलीजुली सरकार के मुखिया मायावती (मुख्यमंत्री) व मुलायम सिंह यादव के ऊपर समुदाय विशेष द्वारा फ़िल्म को रिलीज नहीं करने का दबाव था। जिसका मुख्य कारण फ़िल्म में लड़की मुस्लिम और लड़का हिंदू दिखाया गया है, यदि फ़िल्म रिलीज़ होती तो एक तो मुस्लिम समुदाय का मज़ाक बनेगा दूसरे मुस्लिम समाज की लड़कियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
खैर यहां यह किस्सा मुझे इसलिए याद आ गया क्योंकि एक सच्ची घटना #kashmiripanditgenocid विषय पर बनी एक बेहतरीन फ़िल्म के प्रदर्शन को रोकने व प्रभावित करने के लिए दुनिया भर के फ़िल्म माफिया, वामपंथी विचारधारा के लोग, कट्टरपंथी समुदाय एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं क्योंकि वो जानते हैं कि 1990 में जी हुआ वो लोग उस साजिश का हिस्सा थे।
मैं धन्यवाद देना चाहूंगा निर्देशक #VivekRanjanAgnihotri और उनकी पूरी टीम को की उन्होंने सत्य को इतनी बारीकी से उकेरा है।
मैं धन्यवाद देना चाहूंगा प्रभु श्री राम को की उन्होंने हिंदू हितों का ध्यान रखने वाली एक सरकार अपने आशीर्वाद से बनाई।
मैं धन्यवाद देना चाहूंगा सोशल मीडिया के विभिन्न आयामों पर डटे मेरे जैसे अनेकानेक हिंदू साथियों को जो एक से बढ़कर एक तरीकों से हर किसी को यह मूवी देखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
मैं धन्यवाद देना चाहूंगा उन 554 सिनेमाघरों को जिन्होंने फ़िल्म माफियाओं द्वारा जारी फतवे को दरकिनार कर इस सत्य घटना को रिलीज करने का साहस दिखाया।
हर हिंदू को यह फ़िल्म देखनी ही चाहिए क्योंकि इसको देखे बिना आप कभी जान नहीं पाएंगे कि क्या हुआ था 5 लाख कश्मीरी पंडितों के साथ।
जय हिंद जय भारत

3 comments:
अदभुत लेख
प्रणाम स्वीकार करें आर्य
धन्यवाद डॉ. विजय मिश्रा जी। 🙏🏼🙏🏼
👍👌
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