
जब अंगद रामदूत के रूप में रावण के पास जा रहे थे तब विभीषण ने भी एक छोटा सा सन्देश कहलाया था जो इस प्रकार था !
दो एक सन्देश हमारे भी कह देना हठी दशानन से -
जिसने की किया था पद-प्रहार, मुझ पर उठकर सिंहासन से
मै मुर्ख और विद्रोही हूँ वह तो सब बात समझता है
अब देखें लंकानगरी की - किस प्रकार रक्षा करता है
यह भली भांति जतला देना - उस महाभिमानी रावण को
घर भर में एक विभीषण ही रह जाएगा बस तर्पण को
आज देश में कांग्रेस रुपी "रावण" विचाधारा का ख़त्म होना बहुत आवश्यक है एवं जिसके लिए हम सब को एकजुट होकर देशहित में अंगद बनना ही होगा !
#ChurchTargetsModi

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